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Sunday, May 17, 2020
माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस MICROSOFT OFFICE
माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस
परिचय (Introduction)
माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस परस्पर संबंधित डेस्कटॉप अनुप्रयोगों और सेवाओं का समूह है, जिसे सामूहिक रूप से ऑफिस सूट कहा जाता है। माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस सर्वप्रथम सन् 1989 में माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन द्वारा मैक- OS के लिए शुरू किया गया। उसके पश्चात सन् 1990 में विंडोज के लिए प्रथम संस्करण लाया गया। माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 3.0 ऑफिस सूट का विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रथम संस्करण था। उसके बाद माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 4.3, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 95, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 2000, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस ङ्गक्क तथा माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 3003, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 2010 हैं। माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के अंतर्गत मुख्यत: चार प्रोग्राम आते हैं-
1. माइक्रोसॉफ्ट वर्ड
2. माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल
3. माइक्रोसॉफ्ट एक्सेस
4. माइक्रोसॉफ्ट पॉवर प्वाइंट
एमएस ऑफिस के ये प्रोग्राम अलग-अलग प्रकार के कार्यों को करने के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं, लेकिन इन सभी की कार्यप्रणाली लगभग एक जैसी है। जिसमें किसी एक प्रोग्राम पर कार्य करना सीखने के बाद अन्य प्रोग्रामों को सीखना सरल हो जाता है। यही नही एमएस ऑफिस के एक प्रोग्राम से दूसरे प्रोग्राम में कोई चित्र, सामग्री या सूचनाएं लाना ले जाना अत्यन्त सरल है इसलिए इनसे हर प्रकार के मिश्रित कार्य का भी कम्प्यूटरीकरण किया जा सकता है।
माइक्रोसॉफ्ट वर्ड (Microsoft Word)--माइक्रोसॉफ्ट वर्ड माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन द्वारा विकसित वर्ड प्रोसेसर है। इसका मुख्य कार्य दस्तावेज को संचालित करना है। यह एक वर्ड प्रोसेसिंग पैकेज है, जिसकी सहायता से साधारण दैनिक पत्र व्यवहार से लेकर डेस्कटॉप पब्लिशिंग स्तर के कार्य सुविधापूर्वक किए जा सकते हैं। इसमें परम्परागत मेन्युओं के साथ ही टूल बार की सुविधा भी उपलब्ध है। जैसे- कॉपी करना, कट करना, जोडऩा, खोजना एवं बदलना, फॉन्ट, स्पेलिंग एंड ग्रामर की जॉच करना, बुलेट्स तथा नंबरिंग आदि। माइक्रोसॉफ्ट वर्ड 2007 तथा 2010 में दस्तावेजों को विभिन्न भाषाओं में अनुवादित करने की सुविधा भी उपलब्ध है।
computer DATA sever
कम्प्यूटर डाटा संरचना
कम्प्यूटर एक बहुत ही उपयोगी यन्त्र है । कम्प्यूटर यूजर द्वारा दिए हुए सभी प्रकार के निर्देशों को गणना के लिए संग्रहीत करता है जैसे - संख्या, नंबर, टेक्स्ट, ग्राफ़िक्स, चित्र इत्यादि। यह सभी डाटा तथा निर्देश अलग परन्तु कम्प्यूटर इन सभी डाटा तथा निर्देशों को बाइनरी भाषा में बदल कर संग्रहीत करता है । बाइनरी एक मशीन की भाषा है जिसका आधार सिर्फ दो संख्याएँ है - 0 तथा 1 । यूजर द्वारा दिए गए सभी निर्देश बाइनरी भाषा में 0 तथा 1 में परिवर्तित हो जाते है । इस प्रक्रिया को डाटा निरूपण कहते है । डाटा निरूपण के लिए दो तरीके होते है -
1. एनालॉग क्रियायें
2. डिजिटल क्रियायें
एनालॉग क्रियायें (Analog Operations)-
एनालॉग क्रियाएं लगातार परिवर्तनशील संकेत पर आधारित है । इनमे अंकों का प्रयोग नहीं होता है । एनालॉग क्रियाओं का प्रयोग विज्ञानं तथा इंजीनियरिंग के बहुत से क्षेत्रों में किया जाता है क्योंकि इन क्षेत्रों में भौतिक मात्राओं का उपयोग अधिक किया जाता है जैसे की स्पीडोमीटर, ओडोमीटर, वोल्टमीटर, थर्मामीटर इत्यादि
डिजिटल क्रियायें (Digital Operation)-
आधुनिक कम्प्यूटर डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक सर्किट (digital electronic circuits) द्वारा निर्मित होते हैं। इस सर्किट का मुख्य भाग ट्रांजिस्टर होता है जो दो अवस्थाओं 0 तथा 1 में कार्य करता है। कम्प्यूटर में डाटा को व्यक्त करने वाली इन दो अवस्थाओं को सम्मिलित रूप से बाइनरी संख्या प्रणाली कहते हैं।बाइनरी डाटा को स्टोर करने के लिए एक प्रणाली बनाई गई है, जिसकी सबसे छोटी इकाई बिट है ।
4 बिट्स = 1 निबल
8 बिट्स = 1 बाइट
1024 बाइट्स = 1 किलोबाइट (KB)
1024 किलोबाइट = 1 मेगाबाइट (MB)
1024 मेगाबाइट = 1 गीगाबाइट (GB)
1024 गीगाबाइट = 1 टेराबाइट (TB)
Monday, May 11, 2020
MS Powerpoint 2007 सामान्य ज्ञान
एम.एस. पावरप्वाइन्ट (Powerpoint)
एम.एस. पावर पॉइंट माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस का एक अभिन्न भाग है । यह माइक्रोसॉफ्ट के सबसे अभिक उपयोगी तथा सबसे ज्यादा काम में लिए जाने वाले सॉफ्टवेयर में गिना जाता है ।पावर पॉइंट का उपयोग बड़ी बड़ी कंपनियों, प्रोजेक्ट्स, संस्थाओं, शिक्षण संस्तानों इत्यादि में बहुतायत में होता है जहाँ पर आम तौर पर प्रेजेंटेशन देनी होती है । इसमें सूचनाओं को बिंदु बनाकर सुन्दर तथा आकर्षित ढंग से प्रदर्शित किया जाता है ताकि प्रेजेंटेशन में लोग आपकी बात सुन भी सके तथा महत्वपूर्ण बिंदु नोट कर सके व पढ़ सके । इससे प्रेजेंटेशन में स्पषटता आती है ।
पॉवरपॉइंट में प्रेजेंटेशन बनाते समय इसमें विभिन्न प्रकार के एनीमेशन इफ़ेक्ट, ग्राफ़िक्स, साउंड्स, ऑटो टाइमिंग इत्यादि का उपयोग कर सकते है जिससे प्रेजेंटेशन और आकर्षित तथा मनभावन बन जाती है ।
नीचे पावर पॉइंट के सबसे महत्वपूर्ण विशेषताएं बताई गई है -
1. Slide (स्लाइड)
यह प्रेजेंटेशन का सबसे महत्वपूर्ण भाग है, जिस प्रकार एक पुस्तक अनेक पृष्ठों से मिलकर बनी होती है, उसी प्रकार एक प्रेजेंटेशन का निर्माण स्लाइड्स से होता है । स्लाइड्स के अंदर सारी जानकारी बिंदु बनाकर लिखी जाती है । इसके अंदर टेक्स्ट, ऑब्जेक्ट, ग्राफ़िक्स, चित्र, एनीमेशन, साउंड इफ़ेक्ट इत्यादि डाल सकते है जिसका प्रेजेंटेशन में उपयोग होता है ।
2. Handouts (हैंडआउट्स)
यह प्रेजेंटेशन का प्रिंटआउट होता है । प्रेजेंटेशन का प्रिंट आउट हैंडआउट्स के रूप में आता है । साधारणतयाः हैंडआउट्स मुख्य रूप से श्रोताओ को दिया जाता है । जिसमे स्लाइड्स के कंटेंट्स, प्रोजेक्ट का नाम, कंपनी का नाम, प्रेजेंटेशन की तारीख, स्पीकर का नाम इत्यादि सम्मिलित होता है ।
3. Speaker Notes (स्पीकर नोटस)
यह प्रेजेंटेशन देने वाले स्पीकर के लिए होते है तथा श्रोताओ को नहीं दिखाई देते है । जैसा की पहले बताया गया है की प्रेजेंटेशन स्लाइड्स में सिर्फ मुख्य बिंदु ही रखे जाते है इसीलिए स्पीकर अपने नोट्स बनकर स्पीकर नोट्स में रख सकता है ताकि प्रेजेंटेशन देते समय उनका उपयोग कर सके और कोई जानकारी न छूटे।
4. Media Clips (मीडिया क्लिप्स)
इस ऑप्शन के माध्यम से साउंड, वीडियो, एनीमेशन, पिक्टर आर्ट इत्यादि का उपयोग किया जाता है । मीडिया का उपयोग कर प्रेजेंटेशन को आकर्षक और मनभावन बनाया जाता है । इनसे प्रेजेंटेशन की सुंदरता में चार चाँद लग जाते है ।
5. Organisation Chart (आर्गनाइजेशन चार्ट )
यह किसी आर्गेनाइजेशन या संस्था की संगठन संरचना को क्रमबद्ध तरीके से प्रेजेंट करने के उपयोग में आता है । इसके माध्यम से सुन्दर संगठन संरचना चार्ट बनाए जा सकते है जिन्हे आसानी से समझा जा सकता है
6. Graph and Charts (ग्राफ तथा चार्ट्स)
विभिन्न प्रकार के नम्बरों तथा डाटा को आसानी से समझाने के लिए ग्राफ तथा चार्ट्स का उपयोग किया जाता है । पावर पॉइंट में विभिन्न प्रकार के ग्राफ तथा चार्ट डालें जा सकते है जो नम्बरों को बहुत ही आकर्षित तथा सुन्दर रूप में प्रदर्शित करते है तथा श्रोतागण आसानी से उन्हें समझ सकते है ।
Thursday, May 7, 2020
1 कम्प्युटर क्या है – What is Computer in Hindi?
Computer का नाम सुनते ही मन में सैंकडो विचार आने लगते है. क्योंकि Computer सैंकडो गतिविधिया अकेला कर सकता है. हाँ, सैंकडो! आपने सही पढा और वो भी एक साथ. Computer को शब्दो मे बांधना थोडा सा मुश्किल होता हैं. ऐसा इसलिए है कि हर इंसान Computer का उपयोग अलग-अलग कार्यों के लिए करता है.
कम्प्युटर के बारे में एक आम धारणा भी प्रचलित है कि Computer एक अंग्रेजी शब्द है. Computer का हिंदी में मतलब (Computer Meaning in Hindi) “गणना” होता है. इसका मतलब कम्प्युटर एक गणकयंत्र (Calculator) है. लेकिन, कम्प्युटर को एक जोडने वाली मशीन कहना गलत होगा. क्योंकि कम्प्युटर जोडने के अलावा सैकडों अलग-अलग कार्य करता है.
अगर आप एक लेखक/टाईपिस्ट से पूछोगे कि कम्प्युटर क्या है? तो वह शायद कहे की कम्प्युटर एक टाईप मशीन हैं. इसी तरह हम एक गेम खेलने वाले बालक से पूछे तो वह शायद कहे कि कम्प्युटर तो एक गेम मशीन है. कम्प्युटर ऑपरेटर से पूछोगे तो वह इसे ऑफिस का काम निपटाने वाली मशीन के संदर्भ में परिभाषित करने की कोशिश करेगा.
इसलिए हम कह सकते है कि Computer को किसी एक अर्थ में नही बांधा जा सकता है. कम्प्युटर का मतलब उसके उपयोग के आधार पर हर व्यक्ति के लिए अलग है.
कम्प्युटर के इतने अर्थ होने के बावजूद हमने आपके लिए कम्प्युटर को परिभाषित करने कि एक कोशिश की है. इस कम्प्युटर की परीभाषा को आप कम्प्युटर की एक प्रमाणित परिभाषा नही मान सकते है. क्योंकि कार्य के आधार पर कम्प्युटर के अर्थ भी बदल जाते है.
कम्प्युटर की परिभाषा – Computer Definition in Hindi“Computer एक मशीन है जो कुछ तय निर्देशों के अनुसार कार्य को संपादित करते है. और ज्यादा कहे तो Computer एक इलेक्ट्रोनिक उपकरण है जो इनपुट उपकरणों की मदद से आँकडों को स्वीकार करता है उन्हें प्रोसेस करता है और उन आँकडों को आउटपुट उपकरणों की मदद से सूचना के रूप में प्रदान करता है.”
इस परिभाषा के स्पष्ट है कि कम्प्युटर युजर द्वारा पहले कुछ निर्देश लेता है जो विभिन्न इनपुट डिवाईसों की मदद से प्रविष्ट कराए जाते है. फिर उन निर्देशों को प्रोसेस किया जाता है, और आखिर में निर्देशों के आधार पर परिणाम देता है जिसे आउटपुत डिवाईसों की मदद से प्रदर्शित करता है.
निर्देशों में कई प्रकार का डेटा शामिल होता है. जैसे; संख्या, वर्णमाला, आंकड़े आदि. इस डेटा के अनुसार ही कम्प्युटर परिणाम बनाता है. यदि कम्प्युटर को गलत आंकड़े दिए जाते है तो कम्प्युटर भी गलत ही परिणाम देता है. मतलब साफ है कि कम्प्युटर GIGO – Garbage in Garbage Out के नियम पर काम करता है.
क्या आप जानते है?
कम्प्युटर का जनक “चार्ल्स बैबेज” को माना गया है. इन्होने सन 1833 में Analytical Engine का आविष्कार किया था, जो आधुनिक कम्प्युटर का आधार बना. इसी कारण उन्हे Father of Computer की उपाधी दी गई.
कम्प्युटर का पूरा नाम क्या है – Computer Full Form in Hindi
कम्प्युटर बहु उपयोगी मशीन होने के कारण आज तक भी कम्प्युटर को एक परिभाषा में नही बाँध पाँए है. इसी कड़ी में कम्प्युटर का पूरा नाम भी चर्चित रहता है. जिसकी अलग लोगों और संस्थाओं ने अपने अनुभव के आधार पर भिन्न-भिन्न व्याख्या की है. लेकिन, इनमे से कोई भी Standard Full
Form नही है. हमने आपके लिए एक कम्प्युटर की फुल फॉर्म नीचे बताई है. जो काफी लोकप्रिय और अर्थपूर्ण है.
C – Common
O – Operating
M – Machine
P – Particularly
U – Used in
T – Technology
E – Education and
R – Research अर्थात Common Operating Machine Particularly Used in Technology Education and Research.
कम्प्युटर के विभिन्न प्रकार
कंप्युटर के मुख्य रूप से तीन प्रकार होते हैं. इनके बारे में आप अधिक जानकारी कंप्युटर के प्रकार Lesson से ले सकते है.
1.
अनुप्रयोग (Application)
2.
उद्देशय (Purpose)
3.
आकार (Size)
कम्प्युटर का परिचय – Computer Introduction
in Hindi
Computer अपना कार्य अकेला नही कर सकता है. Computer किसी कार्य को करने के लिए कई तरह के उपकरणों तथा प्रोग्राम की सहायता लेता है. Computer के ये उपकरण और प्रोग्राम क्रमश: ‘Hardware तथा Software ‘ के नाम से जाने जाते है. Computer के इन उपकरणों तथा प्रोग्राम के बारे में आप अगले Lessons में जान पाएंगे. एक आम Computer कुछ इस प्रकार दिखाई देता है.
1. System Unit
System Unit एक बक्सा होता है जिसमें Computer को अपना कार्य करने के लिए आवश्यक यंत्र लगे होते है. सिस्टम युनिट को CPU (Central Processing Unit) भी कहा जाता है. इसमें mother
board, processor आदि यत्रं होते है जो Computer को कार्य करने लायक बनाते है. इसे Computer
Case भी कहते है.
2. Monitor
Monitor एक आउटपुट उपकरण है जो हमें दिए गए निर्देशों के परिणामों को दिखाता है. यह बिल्कुल टीवी के जैसा होता है. वर्तमान में मॉनिटरो की जगह एल सी डी एवं एल ई डी ने ले ली है.
3. Keyboard
Keyboard एक इनपुट उपकरण है जो हमें Computer को निर्देश देने के लिए होता है. इसकी मदद से ही Computer को वांछित आंकडे एवं निर्देश दिए जाते है. इसमे विभिन्न प्रकार की कुंजिया (keys) होती है इन्ही के द्वारा आंकडे एवं निर्देश Computer तक पहुंचाए जाते है. आप यहाँ से Keyboard का उपयोग करना सीख सकते है.
4. Mouse
Mouse भी एक इनपुट उपकरण है जो Computer को निर्देश देने के लिए होता है. हम इसके द्वारा Computer में उपलब्ध प्रोग्राम को चुनते है. आप यहाँ से Mouse का उपयोग करना सीख सकते है.
5. Speakers
Speakers आउटपुट उपकरण है जो हमें Computer से आवाज को सुनने में मदद करते है. इन्ही के द्वारा हमें गानों, फिल्मों, प्रोग्रामों तथा खेलों आदि में उपलब्ध ध्वनी सुनाई देती है.
6. Printer
Printer भी एक आउटपुट उपकरण है जो Computer द्वारा विश्लेषित सूचनाओं को कागज पर प्राप्त करने के लिए होता है. कागज पर प्राप्त होने वाली सूचनाओं को ‘हार्डकॉपी’ भी कहते है. और इसके उलट जो सूचनाए Computer में ही रक्षित रहती है उन्हे ‘सॉफ्टकॉपी’ कहते है.
कम्प्युटर की विशेषताएं – Characteristics of Computer in Hindi
कम्प्युटर ने हम इंसानों द्वारा किए जाने वाले अधिकतर कामों पर कब्जा कर लिया हैं और इंसान को उसकी क्षमता से अधिक कार्य-क्षमता प्रदान की हैं. यह सब कम्प्युटर मशीन के खास गुणों के कारण संभव हैं. तभी हम इंसान कम्प्युटरों को अपने जीवन का हिस्सा बना रहे हैं. कम्प्युटर की कुछ खास विशेषताएँ निम्न हैं.
1. गति – Speed
1.
कम्प्युटर बहुत तेज गति से कार्य करता हैं.
2.
यह लाखों निर्देशों को केवल एक सैकण्ड में ही संसाधित कर सकता हैं.
3.
कम्प्युटर की डाटा संसाधित करने की गति को माईक्रोसैकण्ड (10–6), नैनोसैकण्ड (10-9) तथा पिकोसैकण्ड (10-12) में मापा जाता हैं.
4.
आमतौर पर प्रोसेसर की एक युनिट की गति दसियों लाख निर्देश प्रति सैकण्ड यानि MIPS (Millions of
Instructions Per Second)
5.
इस मशीन का निर्माण ही तीव्र गति से कार्य करने के लिए किया गया हैं.
2. शुद्धता – Accuracy
1.
कम्प्युटर GIGO (Garbage in Garbage Out) सिद्धांत पर कार्य करता हैं.
2.
इसके द्वारा उत्पादित परिणाम त्रुटिहीन रहते हैं. अगर किसी परिणाम में कोई त्रुटि आती हैं तो वह इंसानी हस्तक्षेप तथा प्रविष्ट निर्देशों के आधार पर होती हैं.
3.
इसके परिणामों की शुद्धता मानव परिणामों की तुलना में बहुत ज्यादा होती हैं.
3. परिश्रमी – Diligence
1.
कम्प्युटर एक थकान मुक्त और मेहनती मशीन हैं.
2.
यह बिना रुके, थके और बोरियत माने बगैर अपना कार्य सुचारु रूप से समान शुद्धता के साथ कर सकता हैं.
3.
यह पहले और आखिरी निर्देश को समान एकाग्रता, ध्यान, मेहनत और शुद्धता से पूरा करता हैं.
4. बहुप्रतिभा – Versatility
1.
कम्प्युटर एक बहु-उद्देश्य मशीन हैं.
2.
कम्प्युटर गणना करने के अलावा अनेक उपयोगी कार्य करने में सक्षम होता हैं.
3.
इसके द्वारा हम टाईपिंग, दस्तावेज, रिपोर्ट, ग्राफिक, विडियों, ईमेल आदि सभी जरूरी काम कर सकते
5. स्वचालित – Automation
1.
कम्प्युटर एक स्वचालित मशीन भी हैं.
2.
यह बहुत सारे कार्यों को बिना इंसानी हस्तक्षेप के पूरा कर सकता हैं.
3.
स्वचालितता इसकी बहुत बडी खूबी हैं.
6. संप्रेषण – Communication
1.
एक कम्प्युटर मशीन अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाईसों से भी बात-चीत कर सकता हैं.
2.
यह नेटवर्क के जरीए अपना डाटा का आदान-प्रदान एक-दूसरे को आसानी से कर सकते हैं.
7. भंडारण क्षमता – Storage Capacity
1.
कम्प्युटर में बहुत विशाल मेमोरी होती हैं.
2.
कम्प्युटर मेमोरी में उत्पादित परिणाम, प्राप्त निर्देश, डाटा, सूचना अन्य सभी प्रकार के डाटा को विभिन्न रूपों में संचित किया जा सकता हैं.
3.
भंडारन क्षमता के कारण कम्प्युटर कार्य की दोहराव से बच जाता हैं.
8. विश्वसनीय – Reliability
1.
यह एक भरोसेमंद और विश्वसनीय मशीन हैं.
2.
इसका जीवन लंबा होता हैं.
3.
इसके सहायक उपकरणों को आसानी से पलटा और रख-रखाव किया जा सकता हैं.
9. प्रकृति का दोस्त
– Nature Friendly
1.
कम्प्युटर अपना कार्य करने के लिए कागज का इस्तेमाल नहीं करता हैं.
2.
डाटा का भंडारण करने के लिए भी कागजी दस्तावेज नहीं बनाने पडते हैं.
3.
इसलिए कम्प्युटर अप्रत्यक्ष रूप से प्रकृति के रक्षक होते हैं. और इससे लागत में भी कमी आती हैं.
कम्प्युटर की सीमाएं – Limitations of Computer in Hindi
1.
कम्प्युटर एक मशीन हैं जिसे अपना कार्य करने के लिए हम इंसानों पर निर्भर रहना पडता हैं. जब तक इसमे निर्द्श प्रविष्ट नहीं होंगे यह कोई परिणाम उत्पादित नहीं कर सकता हैं.
2.
इसमें विवेक नहीं होता हैं. यह बुद्धिहीन मशीन हैं. इसमें सोचने-समझने की क्षमता नहीं होती हैं. मगर वर्तमान समय में कृत्रिम मेधा (Artificial
Intelligence) के द्वारा कम्प्युटरों को सोचने और तर्क करने योग्य क्षमता विकसित की जा रही हैं.
इसे काम करने के लिए साफ-सुथरे वातारण की जरुरत पडती हैं. क्योंकि धूल-भरी जगह पर इसकी कार्यक्षमता प्रभावित होती हैं. और यह कार्य करना बंद भी कर सकता हैं.
कम्प्युटर का इतिहास – History of Computer in Hindi
आधुनिक कम्प्युटर इतिहास की देन हैं. जिसकी शुरुआत ईसा पूर्व ही हो चुकी थी. जब चीनियों ने अबेकस का आविष्कार किया. इसके बाद विभिन्न प्रकार के स्वचालित मशीने अस्तित्व में आई. और चार्ल्स बैबेज द्वारा बनाया गया स्वाचालित इंजन आज के कम्प्युटर का आधार बना.
कम्प्युटर का इतिहास कुछ इसी तरह के उतार-चढावों से भरा हुआ है. जिसके बारे में संक्षेप में नीचे बताया गया हैं.
·
Abacus दुनिया का पहला गणना यंत्र था जिसके द्वारा सामान्य गणना (जोडना, घटाना) की जा सकती थी.
·
अबेकस का आविष्कार लगभग 2500 वर्ष पूर्व (इसका सही-सही समय ज्ञात नहीं हैं) चीनीयों द्वारा किया गया.
·
यह यंत्र 17वीं शताब्दी तक गनना करने का एक मात्र उपकरण बना रहा.
·
1017 में John Napier ने अपनी किताब “Rabdology” में अपने गणितीय उपकरण का जिक्र किया. जिसका नाम “Napier’s Bones” था. इस डिवाईस का उपयोग उत्पादों की गणना तथा भागफल ज्ञात करने के लिए किया जाता था. इस डिवाइस में गणना करने के लिए इस्तेमाल होने वाली विधि को ‘रेब्दोलॉजी’ कहा जाता था.
·
इस डिवाइस द्वारा जोडना, घटाना, गुणा, भाग भी किये जा सकते थे.
·
John Napier के आविष्कार के कुछ साल बाद (1620 के आसपास) ही माननीय William Oughtred ने “Slide Rule” का आविष्कार कर लिया.
·
इसके द्वारा गुणा, भाग, वर्गमूल, त्रिकोणमीतिय जैसी गणनाएं की जा सकती थी. मगर जोड तथा घटाव के लिए कम इस्तेमाल किया हुआ.
·
1642 में माथ 18 वर्ष की अल्पायु में फ्रेंच वैज्ञानिक और दार्शनिक ने पहला व्यवहरिक यांत्रिक कैलकुलेटर बनाया.
·
इस कैलकुलेटर का नाम “पास्कालिन” था.
·
जिसके द्वारा गणना की जा सकति थी.
·
फिर 1671 में पास्कालिन में सुधार करते हुए एक एडवांस मशीन ‘Step Reckoner’ का आविष्कार हुआ. जो जोडने, घटाने के अलावा गुणा, भाग, वर्गमूल भी कर सकती थी.
·
Gottfried Wilhelm
Leibniz द्वारा विकसित इस मशीन में भंडारण क्षमता भी थी.
·
Binary System भी इन्ही के द्वारा विकसित किया गया. जिसे एक अंग्रेज ‘George Boole’ ने आधार बनाकर 1845 में एक नई गणितीय शाखा “Boolean Algebra” का आविष्कार किया.
·
आधुनिक कम्प्युटर डाटा संसाधित करने और तार्किक कार्यों के लिए इसी बाइनरी सिस्टम और बुलीन अल्जेब्रा पर ही निर्भर रहते हैं.
·
1804 में फ्रेंच के एक बुनकर ‘Joseph-Marie-Jacquard’ ने एक हथकरघा बनाया. जिसका नाम ‘Jacquard Loom’ था.
·
इसे पहला ‘सूचना-संसाधित’ डिवाइस माना जाता हैं.
·
और इस डिवाइस के आविष्कार ने साबित कर दिया कि मशीनों को मशीनि कोड द्वारा संचालित किया जा सकता था.
·
1820 में फ्रांस के ‘Thomas de Colmar’ ने “Arithmometer” नामक एक नई गणना मशीन बनाई.
·
जिसके द्वारा गणित के चार बुनियादी कार्य जोडना, घटाना, गुणा, भाग किये जा सकते थे.
·
मगर द्वितीय विश्व युद्ध के कारण इस मशीन का विकास रुक गया.
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आधुनिक कम्प्युटर के पितामह माननीय ‘Charles Babbage’ ने 1822 में “बहुपदीय फलन” का सारणीकरण करने के लिए एक स्वचालित यांत्रिक कैलकुलेटर का आविष्कार किया.
·
इस कैलकुलेटर का नाम “Difference Engine” था.
·
यह भाप द्वारा चलती थी और इसका आकार बहुत विशाल था.
·
इसमे प्रोग्राम को स्टोर करने, गणना करने तथा मुद्रित करने की क्षमता थी.
·
इस इंजन के लगभग एक दशक बाद 1833 में “Analytical Engine” डिजाइन किया.
·
इस इंजन को ही आधुनिक कम्प्युटर का शुरुआती प्रारुप माना जाता हैं. इसलिए ही “चार्ल्स बैबेज” को कम्प्युटर का जनक कहा जाता हैं.
·
इस मशीन मे वे सभी चीजे थी जो मॉडर्न कम्प्युटर में होती है.
·
Analytical Engine में Mill (CPU), Store (Memory), Reader and Printer (Input/Output) का काम कर रहे थे.
·
अब आधुनिक कम्प्युटर की नींव रखी जा चुकी थी.
इसके बाद कम्प्युटर ने तेजी से विकास किया. और नई-नई तकनीकों का आविष्कार किया गया. जिसके कारण कम्प्युटर विशाल कमरे से बाहर निकलकर हमारे हाथ में समा गया. इस विकास क्रम को पीढीयों में बांटा गया है. जिसक वर्णन इस प्रकार है
द्वितीय पीढी |
1956 – |